ऐतिहासिक >> एकलिंग का दीवान एकलिंग का दीवानमनु शर्मा
|
8 पाठकों को प्रिय 342 पाठक हैं |
चित्तौड़ के राजपूतों में सिरमौर, रणबाँकुरे बप्पा रावल द्वारा तलवार की धार से इतिहास में दर्ज उनकी वीरगाथा को साकार करता रोमांचक ऐतिहासिक उपन्यास...
फिर वह राजसिंहासन के नीचे आकर छोटे सिंहासन पर बैठ गया। बंदी जन विरुदावली कहने लगे। ब्राह्मणों ने मंगल पाठ पढ़ा। तब महारानी ने खड़े होकर अपने पति का लिखा पत्र सुनाया। पत्र मार्मिक था। सबने इस समय अपने पुराने शासक मानमोरी की प्रशंसा ही की। फिर पुरोहित सत्यनारायण कुछ कहने के लिए खड़े हुए- ‘‘श्रद्धेय महारानी, मान्य अतिथिगणों और प्रिय मित्रो, आज बड़े हर्ष का दिन है। पूज्य महाराज मानमोरी का स्वप्न आज पूरा हो रहा है। वह भी महारानी की उपस्थिति में। प्रिय भोज का पराक्रम, उसकी प्रतिभा, उसका शौर्य, उसकी प्रजाप्रियता आप से छिपी नहीं है। युद्ध से जीतकर लाया हुआ सारा धन उसने आप सब में बाँट दिया। इससे अधिक प्रजा के प्रति उसका प्रेम और क्या हो सकता है। मेरा पूरा विश्वास है, वह सदा अपनी प्रजा को पुत्र की भाँति मानेगा। उनका दुःख दूर करेगा और प्रजा भी उसे ‘बप्पा’ (पिता) समझेगी।... हम इस पवित्र अवसर पर इसीलिए उसे ‘बप्पा रावल’ की उपाधि से विभूषित करते हैं। आज से यह हमारा भोज नहीं, बल्कि हमारा पूज्य ‘बप्पा रावल’ है।’’
इसी पुस्तक से
मनु शर्मा
मनु शर्मा ने साहित्य की हर विधा में लिखा है। उनके समृद्ध संसार में आठ खंडों में प्रकाशित कृष्ण की आत्मकथा भारतीय भाषाओं में विशालतम उपन्यास है। ललित निबंधों में वे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करते हैं तो उनकी कविताएँ अपने समय का दस्तावेज है।
जन्म : सन् 1928 की शरत् पूर्णिमा को अकबरपुर, फैजाबाद में।
शिक्षा : काशी विश्वविद्यालय, वाराणसी।
किताबें : तीन प्रश्न, राणासाँगा, छत्रपति, एकलिंग का दीवान (ऐतिहासिक उपन्यास); मरीचिका, विवशता, लक्ष्मणरेखा, गांधी लौटे (सामाजिक उपन्यास) तथा द्रौपदी की आत्मकथा, द्रोण की आत्मकथा, कृष्ण की आत्मकथा, गांधारी की आत्मकथा (पौराणिक उपन्यास) हैं। पोस्टर उखड़ गया, मुंशी नवनीतलाल, महात्मा, दीक्षा (कहानी संग्रह); खूँटी पर टँगा वसंत (कविता संग्रह); तथा उस पार का सूरज (निबंध-संग्रह) है।
सम्मान एवं अलंकरण : गोरखपुर विश्वविद्यालय से डी.लिट. की मानद उपाधि। उ.प्र. हिंदी संस्थान का ‘लोहिया साहित्य सम्मान’, केन्द्रीय हिंदी संस्थआन का ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’, उ.प्र. सरकार का सर्वोच्च सम्मान ‘यश भारती’ एवं साहित्य के लिए म. प्र. सरकार का सर्वोच्च ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’।
संपर्क : 382, बड़ी पियरी, वाराणसी।
जन्म : सन् 1928 की शरत् पूर्णिमा को अकबरपुर, फैजाबाद में।
शिक्षा : काशी विश्वविद्यालय, वाराणसी।
किताबें : तीन प्रश्न, राणासाँगा, छत्रपति, एकलिंग का दीवान (ऐतिहासिक उपन्यास); मरीचिका, विवशता, लक्ष्मणरेखा, गांधी लौटे (सामाजिक उपन्यास) तथा द्रौपदी की आत्मकथा, द्रोण की आत्मकथा, कृष्ण की आत्मकथा, गांधारी की आत्मकथा (पौराणिक उपन्यास) हैं। पोस्टर उखड़ गया, मुंशी नवनीतलाल, महात्मा, दीक्षा (कहानी संग्रह); खूँटी पर टँगा वसंत (कविता संग्रह); तथा उस पार का सूरज (निबंध-संग्रह) है।
सम्मान एवं अलंकरण : गोरखपुर विश्वविद्यालय से डी.लिट. की मानद उपाधि। उ.प्र. हिंदी संस्थान का ‘लोहिया साहित्य सम्मान’, केन्द्रीय हिंदी संस्थआन का ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’, उ.प्र. सरकार का सर्वोच्च सम्मान ‘यश भारती’ एवं साहित्य के लिए म. प्र. सरकार का सर्वोच्च ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’।
संपर्क : 382, बड़ी पियरी, वाराणसी।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book